मुजफ्फरनगर के मोरना ब्लॉक के ग्राम चौरावाला में स्वास्थ्य उपकेंद्र पर सास-बेटा-बहु सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गांव की आशा कार्यकर्ताओं को उपहार और परिवार नियोजन में योगदान देने वाली महिलाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, पोषण, और सामाजिक समरसता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जिसने ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ाने का काम किया।
आशा कार्यकर्ताओं और महिलाओं का सम्मान
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) डॉ. काजल धामा ने बताया कि कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओं प्रविता, बबीता, गीता, कविता, मुनेश, रूबी, और पिंकी को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उपहार प्रदान किए गए। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत परिवार कल्याण और जनसंख्या नियंत्रण में योगदान देने वाली कई महिलाओं को प्रशस्ति पत्र दिए गए। डॉ. धामा ने कहा, “ये महिलाएं दो बच्चों के बाद नसबंदी अपनाकर समाज के लिए सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। परिवार नियोजन देश के कल्याण के लिए जरूरी है।” यह सम्मान उन महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए था, जिन्होंने परिवार नियोजन को अपनाकर जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाई।
स्वास्थ्य और सामाजिक जागरूकता पर चर्चा
कार्यक्रम में स्वास्थ्य सम्बंधी जागरूकता, पोषण, और सामाजिक समरसता पर विस्तृत चर्चा हुई। डॉ. काजल धामा ने बताया कि छोटे परिवार की अवधारणा को बढ़ावा देना और महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूक करना इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था। आशा कार्यकर्ताओं ने गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके लिए उनकी सराहना की गई। कार्यक्रम में ग्रामीणों ने परिवार नियोजन के लाभ, बच्चों के पोषण, और सामुदायिक एकता पर विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम का संचालन और प्रभाव
कार्यक्रम का संचालन सीएचओ डॉ. काजल धामा ने किया, जिन्होंने ग्रामीण महिलाओं और आशा कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय स्थापित कर इस आयोजन को सफल बनाया। यह सम्मेलन न केवल स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने में प्रभावी रहा, बल्कि ग्रामीण समुदाय में सामाजिक समरसता को भी प्रोत्साहित करने का एक मंच बना। इस तरह के आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं और परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।