नई दिल्ली. भारत 6G तकनीक में वैश्विक नेतृत्व की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत ने ब्रिटेन के साथ साझेदारी को मजबूत करते हुए एक नया कनेक्टिविटी और इनोवेशन सेंटर स्थापित करने का ऐलान किया है। यह केंद्र 6G के विकास, एआई-सक्षम दूरसंचार, साइबरसुरक्षा और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देगा, जिससे दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग नई ऊंचाइयों को छुएगा।
यूके इन इंडिया ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर साझा करते हुए कहा, “भारत और ब्रिटेन ने 6G के भविष्य को आकार देने के लिए कनेक्टिविटी और इनोवेशन सेंटर की शुरुआत की है।” यह संयुक्त पहल 24 मिलियन पाउंड (लगभग 255 करोड़ रुपये) के निवेश के साथ चार वर्षों के लिए शुरू होगी। इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 में घोषित यह परियोजना यूके-इंडिया टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव और विजन 2035 के तहत कार्यान्वित होगी।
इस सेंटर का मुख्य उद्देश्य नेटवर्क को तेज, बुद्धिमान और सुरक्षित बनाना है। एआई का उपयोग कर डिजिटल पहुंच को अधिक समावेशी और विश्वसनीय बनाने के लिए दोनों देशों के शीर्ष विशेषज्ञ एक मंच पर आएंगे। यह केंद्र प्रारंभिक अनुसंधान से लेकर व्यावसायिक नवाचार तक का पूरा स्पेक्ट्रम कवर करेगा, जिससे उद्योगों को नए उत्पादों का परीक्षण और बाजार में लाने का अवसर मिलेगा। अगले चार वर्षों में—जब 6G की तकनीकी और व्यावसायिक रूपरेखा तय होगी—यह केंद्र तीन प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस करेगा: उन्नत कनेक्टिविटी, साइबरसुरक्षा और एआई-आधारित टेलीकॉम।
यह समझौता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के हालिया भारत दौरे का हिस्सा है, जब उन्होंने 125 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मुंबई पहुंचे थे। इस यात्रा में व्यापार और इनोवेशन पर कई बैठकें हुईं, जिनमें चार प्रमुख तकनीकी समझौते हुए। इनमें भारत-यूके कनेक्टिविटी सेंटर के अलावा एआई के लिए संयुक्त केंद्र, क्रिटिकल मिनरल्स सप्लाई चेन ऑब्जर्वेटरी का दूसरा चरण, और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद में सैटेलाइट कैंपस शामिल हैं। इसके साथ ही, ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए क्रिटिकल मिनरल्स इंडस्ट्री गिल्ड की स्थापना का फैसला हुआ।
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शिक्षा क्षेत्र में भी दो बड़े कदम उठे: लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी का बेंगलुरु में कैंपस खोलने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट, और यूनिवर्सिटी ऑफ सरी का गुजरात की जीआईएफटी सिटी में कैंपस स्थापना। व्यापार और निवेश के क्षेत्र में भारत-यूके सीईओ फोरम का पुनर्गठन, संयुक्त आर्थिक व्यापार समिति (जेईटीसीओ) का नया स्वरूप, जो सीईटीए कार्यान्वयन में मदद करेगा, और क्लाइमेट टेक्नोलॉजी स्टार्टअप फंड में ब्रिटिश सरकार व भारतीय स्टेट बैंक के बीच संयुक्त निवेश पर सहमति बनी।
स्वास्थ्य, जलवायु और अनुसंधान में भी प्रगति हुई: बायो-मेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम का तीसरा चरण, ऑफशोर विंड टास्कफोर्स की स्थापना, और आईसीएमआर व ब्रिटेन के एनआईएचआर के बीच स्वास्थ्य अनुसंधान पर लेटर ऑफ इंटेंट। ये पहलें भारत-ब्रिटेन संबंधों को नई दिशा देंगी और 2035 तक दोनों देशों के बीच 500 अरब पाउंड के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को साकार करने में सहायक होंगी।





